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स्वतंत्रता संग्राम में जैन

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Jain Freedom Fighters (जैन स्वतंत्रता सेनानी) सम्पूजकानां प्रतिपालकानां यतीन्द्रसामान्यतपोधनानाम् ।  देशस्य राष्ट्रस्य पुरस्य राज्ञः करोतु शान्तिं भगवान् जिनेन्द्रः ।। - आचार्य पूज्यपाद, शान्तिभक्ति 卐 卐 卐 सर्वपक्षपातेषु स्वदेशपक्षपातो महान्   - आचार्य सोमदेवसूरि, यशस्तिलकचम्पू 1. अमर शहीद लाला हुकुमचंद जैन (कानूनगो) 1857 का स्वातन्त्र्य समर भारतीय राजनैतिक इतिहास की अविस्मरणीय घटना है। यद्यपि इतिहास के कुछ ग्रन्थों में इसका वर्णन मात्र सिपाही विद्रोह या गदर के नाम से किया गया है, किन्तु यह अक्षरशः सत्य है कि भारतवर्ष की स्वतन्त्रता की नींव तभी पड़ चुकी थी। विदेशी अंग्रेजी शासन के विरुद्ध ऐसा व्यापक एवं संगठित विद्रोह अभूतपूर्व था। इस समर में अंग्रेज छावनियों के भारतीय सैनिकों का ही नहीं, राजच्युत अथवा असन्तुष्ट अनेक राजा-महाराजाओं, बादशाह नवाबों, जमींदारों- ताल्लुकदारों का ही नहीं, सर्व साधारण जनता का भी सक्रिय सहयोग रहा है। विदेशी सत्ता को उखाड़ फेंकने व विदेशी शासकों को देश से खदेड़ने का यह जबरदस्त अभियान था। इस समर में छावनियां नष्ट की गई, जेलखाने तोड़े गये, सैकड़ों छोट